Saturday 17 December 2016

अद्भुत दुनिया में मेरा पदार्पण..

        अति उत्साह को रोकते-रोकते उत्साह के स्तर तक आना मेरे लिये ज़्यादा कठिन नहीं रहा क्योंकि डर प्रचुर मात्रा में है, जो उत्साह का शत्रु है। तो आख़िर मेरे जैसा लेट-लपेट आदमी भी इस ब्लॉग की दुनिया में आ ही गया! अच्छा, मैंने अपनी एक ख़ास बात जानी है कि मुझे भी सब ट्राई करने का ज़बरदस्त चसका है। होना भी चाहिए, आख़िर उम्र अभी सन्यास की थोड़े न है, पर हूँ मैं अपने वक़्त से बहुत पीछे। सच कहता हूँ, आज तक ये तकनीकी दुनिया मेरे पल्ले ढंग से नहीं पड़ी। यह ब्लॉग भी लिख तो रहा हूँ पर अभी मुझे पूरा यक़ीन नहीं है कि सब कुछ ठीक से सम्पन्न होकर यह आप तक पहुँच ही जाएगा। और अगर पहुँच गया तो यक़ीन मानिए, वह मेरे लिए वास्तव में अति उत्साह का क्षण होगा...!
          यहाँ मैं क्या लिखूँगा? पता नहीं..!  और आप क्या समझेंंगे? आप जानें..! पर चूँकि मैं कला से जुड़ा व्यक्ति हूँ (थिएटर और थोड़ा-थोड़ा फ़िल्म और टी०वी० से), तो कला की ही बातें करूँगा यह बिल्कुल आवश्यक नहीं है, हाँ यह अलग बात है कि हर बात मुझे कला की ही बात लगती है इसलिए बात को भी मैं काम की श्रेणी में रखता हूँ। अब रेडियो वालों ने तो मुझे भी लेने से इंकार कर दिया तो सोच रहा हूँ यहीं कुछ मन की बातें कर लिया करूँगा..
         जैसा मैनें नाम रखा है- कुछ भूला, कुछ भूल गया.. ऐसा ही व्यक्तित्व भी है मेरा। भूलने में उस्ताद हूँ। क़ाफ़ी सालों तक इसे कमी मान कर परेशान रहा, पर शनैः शनैः ज्ञात हुआ कि यह तो वरदान है! कैसे? यह फिर कभी बताऊँगा.. और यह भी कि ऐसे तमाम वरदान मुझ अकेले को प्राप्त हैं। और इन्हींने मुझे सिखा दिया कि "सीखना है तो सीखना सीखो।" फिर शुरू कर दी, सीखना सीखने की खोज! यह खोज, यूँ  तो जीवन भर चलती रहेगी पर एक बात पर बार-बार लौट रही है कि खोज वाक़ई में कहीं अज्ञात की नहीं, बल्कि हमारे आस-पास में ही करनी है.. आस-पास, छोटी-बड़ी हर चीज़ में वह रहस्य है जो खोजना उतना ही आसान है जितना कठिन। हम मक्खी बनकर फूल पर ही बैठे हैं और रस खोज रहे हैं, आवश्यकता सम्भवतः रस ढूँढ़ने की नहीं बल्कि तितली बनने की है! और यही बनने के प्रयास में अपने को लगाये हूँ... देखता हूँ क्या होता है.. और जो-जो होगा, कोशिश करूँगा कि दिखाता भी रहूँ!
            जो तार आज मैंने छेड़े हैं, उनको अक्सर छेड़ता रहूँगा...।। अगली छेड़खानी तक, शुभेच्छा के साथ विदा!